
शहर में आवारा कुत्तों का आतंक: नसबंदी में देरी, NGO ने संभाला मोर्चा
शहर में आवारा कुत्तों की समस्या दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है। रोजाना औसतन 10 लोग कुत्तों के काटने से घायल होकर जिला अस्पताल पहुंच रहे हैं। नगर निगम की लापरवाही और नसबंदी अभियान में देरी ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है। हालांकि, एक एनजीओ ने इस दिशा में सक्रियता दिखाते हुए राहत के प्रयास शुरू किए हैं।
नगर निगम की सुस्ती, नसबंदी अभियान ठप
नगर निगम ने आवारा कुत्तों की नसबंदी के लिए हरियाणा की एक फर्म को वर्क ऑर्डर जारी किया, लेकिन काम अब तक शुरू नहीं हुआ। निगम ने 450 कुत्तों की नसबंदी का लक्ष्य रखा है, जिसके लिए करीब 5 लाख रुपये की लागत का टेंडर जारी किया गया। साल 2009-10 में 1700 कुत्तों की नसबंदी के बाद पिछले 15 सालों में कोई बड़ा अभियान नहीं चला। निगम के स्वास्थ्य सभापति निलेश लुनिया ने बताया कि हरियाणा की संस्था को जल्द काम शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं। नसबंदी के लिए दानी टोला और आधारी नवागांव में पानी टंकी क्षेत्र के पास जगह भी चिह्नित की गई है। फिर भी, अधिकारियों को यह स्पष्ट नहीं है कि काम कब शुरू होगा।

कुत्तों की बढ़ती संख्या, बढ़ रही काटने की घटनाएं
शहर में आवारा कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिसके साथ ही काटने की घटनाएं भी बढ़ी हैं। नसबंदी अभियान में देरी के कारण स्थिति नियंत्रण से बाहर होती जा रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि रात के समय सड़कों पर कुत्तों का झुंड खतरनाक हो जाता है, जिससे बच्चों और बुजुर्गों को विशेष रूप से खतरा है।
NGO ने दिखाई सक्रियता, नसबंदी में जुटा ‘डॉग केयर फाउंडेशन’
इस गंभीर समस्या के बीच ‘डॉग केयर फाउंडेशन’ नामक एनजीओ ने मोर्चा संभाला है। संस्था के प्रमुख और समाजसेवी बजरंग अग्रवाल ने बताया कि उनकी संस्था पिछले कई सालों से आवारा कुत्तों के संरक्षण, इलाज और नसबंदी पर काम कर रही है। रविवार को 23 कुत्तों की नसबंदी की गई, जबकि अब तक 140 कुत्तों की नसबंदी हो चुकी है, जिसमें नर और मादा दोनों शामिल हैं। संस्था हर महीने 25 से 30 कुत्तों की नसबंदी करती है। कुछ समय तक वेटरनरी डॉक्टर की अनुपस्थिति के कारण यह काम रुका था, जो अब फिर शुरू हो गया है।
400 कुत्तों की देखभाल, एनजीओ का अनूठा प्रयास
संस्था के कार्यकर्ता प्रिंस जैन और पुष्पेंद्र वाजपेई ने बताया कि करीब 400 आवारा कुत्तों को एक जगह रखकर उनकी देखभाल, इलाज और नसबंदी की जा रही है। यह एनजीओ न केवल कुत्तों की नसबंदी कर रहा है, बल्कि उनके लिए भोजन और चिकित्सा की व्यवस्था भी कर रहा है। स्थानीय लोग इस पहल की सराहना कर रहे हैं, लेकिन उनका कहना है कि नगर निगम को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
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