
पंजाब बना पहला राज्य जो साक्ष्य-आधारित नशीली दवाओं के खिलाफ पाठ्यक्रम शुरू करेगा
पंजाब सरकार ने नशे की समस्या से निपटने के लिए एक अभूतपूर्व कदम उठाया है। 1 अगस्त, 2025 से, राज्य के सरकारी स्कूलों में कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों के लिए साक्ष्य-आधारित नशीली दवाओं के खिलाफ पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा। यह पहल पंजाब को देश का पहला ऐसा राज्य बनाती है जो स्कूली शिक्षा में नशे की रोकथाम को समर्पित एक विशेष विषय को शामिल कर रहा है। इस कदम का उद्देश्य युवाओं को नशे के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करना और उन्हें नशे से दूर रखने के लिए शिक्षित करना है।
पाठ्यक्रम की विशेषताएं
यह पाठ्यक्रम नशे की लत, इसके सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी प्रभावों, और रोकथाम के उपायों पर केंद्रित होगा। विशेषज्ञों द्वारा तैयार किया गया यह पाठ्यक्रम वैज्ञानिक तथ्यों और वास्तविक जीवन के उदाहरणों पर आधारित है। इसमें नशे के मनोवैज्ञानिक और शारीरिक प्रभावों के बारे में जानकारी, नशा छोड़ने के तरीके, और सामुदायिक सहायता प्रणालियों पर जोर दिया जाएगा। पाठ्यक्रम में इंटरैक्टिव सत्र, कार्यशालाएं, और विशेषज्ञों के साथ चर्चा शामिल होगी ताकि छात्रों को इस गंभीर मुद्दे के प्रति संवेदनशील बनाया जा सके।

सरकार का दृष्टिकोण
मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार ने नशे के खिलाफ व्यापक अभियान शुरू किया है। इस पाठ्यक्रम के अलावा, सरकार ने नशा तस्करी पर नियंत्रण के लिए एक पांच सदस्यीय कैबिनेट समिति का गठन किया है। यह समिति नशे की आपूर्ति श्रृंखला को तोड़ने और सीमा पार तस्करी को रोकने के लिए काम कर रही है। हालांकि, सरकार ने केंद्र और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) पर भी पर्याप्त कार्रवाई न करने का आरोप लगाया है।
सामाजिक प्रभाव
इस पहल से समाज में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद है। युवाओं को नशे से बचाने के लिए शिक्षा को हथियार बनाकर, पंजाब सरकार न केवल व्यक्तिगत जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में काम कर रही है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास को भी बढ़ावा दे रही है। यह पाठ्यक्रम भविष्य में अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल के रूप में काम कर सकता है।
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