
मध्यप्रदेश में रेत माफियाओं का आतंक: जल संसाधन की जमीन पर अवैध भंडारण
जुलाई 07, 2025
रेत माफियाओं की हिमाकत
मध्यप्रदेश में रेत माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हो चुके हैं कि उन्होंने अब जल संसाधन विभाग की जमीन पर ही अवैध रेत भंडारण शुरू कर दिया है। हाल ही में मैहर जिले के कुबरी गांव में रेत माफियाओं ने नायब तहसीलदार पर हमला कर उन्हें ट्रैक्टर से कुचलने की कोशिश की, जब वे अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई करने गए थे। यह घटना रेत माफियाओं की बेलगाम गतिविधियों और प्रशासन पर उनके बढ़ते दबाव को दर्शाती है।
जल संसाधन की जमीन पर कब्जा
रेत माफियाओं ने जल संसाधन विभाग की जमीन को निशाना बनाते हुए वहां भारी मात्रा में रेत का अवैध भंडारण किया है। सूत्रों के अनुसार, माफिया नदियों के किनारे और जलाशयों के आसपास की सरकारी जमीनों पर रेत का अवैध भंडारण कर रहे हैं, जिससे न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि जल संसाधनों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ रही है। यह अवैध भंडारण नदियों के प्राकृतिक प्रवाह को बाधित कर रहा है, जिससे बाढ़ और कटाव का खतरा बढ़ गया है।

प्रशासन की कार्रवाई
मैहर पुलिस ने हालिया घटना के बाद रेत माफियाओं के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं। पुलिस ने कुबरी गांव में 11 अवैध रेत भंडारण स्थलों पर छापेमारी कर भारी मात्रा में रेत जब्त की है। साथ ही, हमले के आरोपी पिता-पुत्र के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि रेत माफियाओं को सत्ता का संरक्षण प्राप्त है, जिसके कारण ऐसी कार्रवाइयां अक्सर नाकाम रहती हैं।
पर्यावरण और जनजीवन पर खतरा

रेत का अवैध खनन और भंडारण न केवल जल संसाधनों के लिए खतरा है, बल्कि इससे स्थानीय जनजीवन भी प्रभावित हो रहा है। नदियों के किनारे अवैध खनन से नदी तटों का कटाव बढ़ रहा है, जिससे आसपास के गांवों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। इसके अलावा, नदियों में रेत की कमी से जल स्तर में कमी आ रही है, जिसका असर कृषि और पेयजल आपूर्ति पर पड़ रहा है।
सरकार से मांग
स्थानीय लोगों और पर्यावरणविदों ने सरकार से मांग की है कि रेत माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। उनका कहना है कि अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए न केवल कठोर कानूनी कार्रवाई की जरूरत है, बल्कि नदियों और जल संसाधनों की सुरक्षा के लिए एक प्रभावी निगरानी तंत्र भी स्थापित करना होगा। साथ ही, सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे को रोकने के लिए नियमित जांच और कठोर दंड की व्यवस्था की मांग की जा रही है।
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