August 1, 2025
दुर्ग में ED-EOW की बड़ी कार्रवाई: मोक्षित कॉर्पोरेशन के ठिकानों पर छापेमारी, 650 करोड़ के घोटाले से जुड़ा मामला

दुर्ग में ED-EOW की बड़ी कार्रवाई: मोक्षित कॉर्पोरेशन के ठिकानों पर छापेमारी, 650 करोड़ के घोटाले से जुड़ा मामला

Jul 30, 2025

मोक्षित कॉर्पोरेशन पर ED और EOW का शिकंजा

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) की संयुक्त टीम ने मोक्षित कॉर्पोरेशन के कई ठिकानों पर छापेमारी की। इस कार्रवाई ने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया है। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSC) से जुड़े 650 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले की जांच के सिलसिले में यह कार्रवाई की गई।

दुर्ग में तीन आवासों और कार्यालयों पर दबिश

ED और EOW की संयुक्त टीम ने दुर्ग में मोक्षित कॉर्पोरेशन के कार्यालय और तीन आवासीय परिसरों पर एक साथ छापेमारी की। इस ऑपरेशन में दो दर्जन से अधिक अधिकारियों के साथ केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवान भी शामिल थे। सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने के लिए पूरे परिसर को घेर लिया गया और किसी भी व्यक्ति को अंदर-बाहर जाने की अनुमति नहीं दी गई। यह कार्रवाई सुबह से शुरू होकर देर तक जारी रही।

650 करोड़ के घोटाले से जुड़ा है मामला

जानकारी के अनुसार, यह छापेमारी CGMSC में हुए 650 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले से संबंधित है। इस घोटाले में मोक्षित कॉर्पोरेशन की भूमिका संदिग्ध पाई गई है, जिसके बाद ED ने इसकी जांच को अपने दायरे में लिया। इससे पहले भी EOW और एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने इस मामले में छह महीने पहले छापेमारी की थी, जिसमें कई अहम दस्तावेज और सबूत जब्त किए गए थे।

पहले भी हो चुकी है कार्रवाई

CGMSC घोटाले की जांच पिछले कुछ समय से गति पकड़ रही है। जनवरी 2025 में EOW और ACB ने रायपुर, दुर्ग और हरियाणा के पंचकुला में कई ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान मोक्षित कॉर्पोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा को गिरफ्तार किया गया था। जांच में पाया गया कि मेडिकल उपकरणों और रिएजेंट्स की खरीद में अनियमितताएं हुईं, जिससे राज्य के खजाने को करीब 500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

जांच में क्या सामने आया?

EOW की चार्जशीट के अनुसार, CGMSC और स्वास्थ्य सेवा निदेशालय (DHS) ने बिना उचित भंडारण सुविधाओं और मांग के आकलन के रिएजेंट्स और मेडिकल उपकरण खरीदे। उदाहरण के तौर पर, EDTA ट्यूब्स को बाजार मूल्य (1.50-8.50 रुपये प्रति यूनिट) से कई गुना अधिक कीमत (23.52-30.24 रुपये प्रति यूनिट) पर खरीदा गया, जिससे करीब 2 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। जांच में मोक्षित कॉर्पोरेशन और अन्य निजी फर्मों के साथ अधिकारियों की सांठगांठ की बात भी सामने आई है।

सुरक्षा और गोपनीयता पर जोर

छापेमारी के दौरान पूरे परिसर को सुरक्षा घेरे में रखा गया था। ED और EOW ने दस्तावेजों, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और बैंकिंग विवरण की गहन जांच की। हालांकि, अभी तक जांच एजेंसियों की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। सूत्रों के मुताबिक, इस कार्रवाई से घोटाले से जुड़े और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।

क्षेत्र में सनसनी और सवाल

इस छापेमारी ने दुर्ग और आसपास के क्षेत्रों में सनसनी फैला दी है। CGMSC घोटाले में बार-बार सामने आ रही अनियमितताओं ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली और निजी फर्मों के साथ सांठगांठ पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। स्थानीय लोग और सामाजिक कार्यकर्ता इस मामले में पारदर्शिता और कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। यह घटना छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही मुहिम को और तेज करने की जरूरत को दर्शाती है।

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