
धर्मस्थल में सनसनीखेज खुलासा: पूर्व सफाई कर्मचारी का दावा, ‘मुझे सालों तक लाशें दफनाने के लिए मजबूर किया गया’
मंगलुरु, 6 जुलाई 2025
शवों को ठिकाने लगाने की मजबूरी
शिकायतकर्ता, जो दलित समुदाय से है और धर्मस्थल के मंजुनाथ मंदिर प्रशासन के तहत सफाई कर्मचारी के रूप में काम करता था, ने बताया कि उसे 1998 से 2014 के बीच कई महिलाओं और नाबालिग लड़कियों के शवों को ठिकाने लगाने के लिए धमकाया गया। उसने आरोप लगाया कि इन शवों पर यौन उत्पीड़न, गला घोंटने और अन्य चोटों के निशान थे। एक मामले में, उसे एक स्कूली छात्रा का शव, जिसके साथ उसका स्कूल बैग भी था, दफनाने का आदेश दिया गया।
धमकियों का डर
“मैंने कई लाशें दफनाईं और कुछ को डीजल डालकर जलाया। मुझे धमकी दी गई थी कि अगर मैंने पुलिस को सूचना दी तो मेरे और मेरे परिवार के साथ बुरा होगा,” शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में कहा। उसने यह भी बताया कि 2014 में वह अपने परिवार के साथ धर्मस्थल छोड़कर पड़ोसी राज्य में छिप गया, क्योंकि उसे और उसके परिवार को जान का खतरा था।
सबूत और पुलिस कार्रवाई
शिकायतकर्ता ने हाल ही में गुप्त रूप से धर्मस्थल लौटकर एक शव को खोदा और उसके अवशेषों की तस्वीरें पुलिस को सौंपी। उसने पुलिस से अनुरोध किया है कि वह दफन स्थलों की खुदाई करे और उसे और उसके परिवार को गवाह संरक्षण योजना के तहत सुरक्षा प्रदान करे। उसने यह भी कहा कि वह अपराधियों की पहचान करने और दफन स्थलों का खुलासा करने के लिए तैयार है।
कानूनी कदम और सामाजिक प्रभाव
धर्मस्थल पुलिस ने शुक्रवार को भारतीय न्याय संहिता की धारा 211(ए) (निर्धारित समय और तरीके से जानकारी न देना) के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस ने कहा कि वे कोर्ट से आवश्यक अनुमति लेकर जांच शुरू करेंगे। इस मामले ने धर्मस्थल में हड़कंप मचा दिया है, जो अपनी आध्यात्मिक विरासत के लिए जाना जाता है।
सुरक्षा और सच्चाई की मांग
शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत की एक प्रति सुप्रीम कोर्ट के वकील केवी धनंजय को भी दी है, ताकि उसकी जान को खतरा होने या गायब होने की स्थिति में सच सामने आ सके। यह मामला कर्नाटक में एक बड़े आपराधिक सिलसिले का पर्दाफाश कर सकता है।
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