
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने उजागर की जेल में अवैध वसूली की गंभीर स्थिति
बिलासपुर, 29 जुलाई 2025:
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने केंद्रीय जेल, दुर्ग में कैदियों के परिजनों से अवैध वसूली के एक गंभीर मामले में सुनवाई के दौरान जेल प्रशासन की खामियों को उजागर किया। इस मामले में लुकेश्वरी जोश अब्राहम छत्तीसगढ़ राज्य (एमसीआरसी संख्या 5191/2025) में दायर हलफनामे और सुनवाई के आधार पर कोर्ट ने जेल सुधार और निगरानी को लेकर सख्त रुख अपनाया है।
आवेदक पर गंभीर आरोप
आवेदक लुकेश्वरी जोश अब्राहम पर आरोप है कि उसने अपने पति, जो एक हत्या के मामले में जेल में बंद है, के साथ मिलकर दुर्ग जेल में निरुद्ध कैदियों के परिजनों को धमकी देकर पैसे ऐंठे। धमकियों में कैदियों को “मौत के घाट उतारने” की बात कही गई थी। कोर्ट ने इस मामले में जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए महानिदेशक (कारागार), छत्तीसगढ़ को 04.07.2025 को व्यक्तिगत हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था।
महानिदेशक का हलफनामा: चौंकाने वाले खुलासे
महानिदेशक, जेल और सुधार सेवाएं, छत्तीसगढ़ ने 14.07.2025 को दायर अपने हलफनामे में बताया कि जेल परिसर में अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए कई पत्र और निर्देश जारी किए गए थे। इनमें 07.10.2024, 10.12.2024, 27.12.2024, 07.02.2025, 11.03.2025, और 11.07.2025 को जेल अधीक्षकों को निगरानी और नियंत्रण के लिए निर्देश दिए गए। इसके बावजूद, जांच में पाया गया कि 22 जेल कर्मचारी अवैध वसूली में शामिल थे। एक जेल प्रहरी, दिवाकर सिंह पैकरा, को गिरफ्तार किया गया, और उसे सेवा से निलंबित कर उप-जेल डोंगरगढ़ में निरुद्ध किया गया।

जेल कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई
हलफनामे के अनुसार, पुलिस अधीक्षक, दुर्ग की जांच में पाया गया कि जेल कर्मचारी एक स्थानीय नाश्ता केंद्र संचालक, शिवा दीवानगन, के माध्यम से फोनपे जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिए पैसे वसूल रहे थे। कोर्ट ने इस मामले में 19 जेल कर्मचारियों के खिलाफ 09.07.2025 को आरोप पत्र जारी करने और बाकी कर्मचारियों के स्थानांतरण की अनुशंसा को नोट किया। जेल अधीक्षक, केंद्रीय जेल, दुर्ग से भी स्पष्टीकरण मांगा गया और उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की गई है।
जेल सुधार पर कोर्ट का सख्त रुख
न्यायमूर्ति रमेश सिंह की अध्यक्षता वाली पीठ ने जेलों को न केवल सजा काटने का स्थान, बल्कि सुधार केंद्र के रूप में देखने की बात कही। कोर्ट ने जेल कर्मचारियों की ऐसी गतिविधियों को अवैध और सुधार प्रक्रिया के खिलाफ बताया। कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस महानिदेशक, छत्तीसगढ़ को राज्य की सभी केंद्रीय, जिला, और उप-जेलों में ऐसी गतिविधियों की जांच करने और WPPIL संख्या 14/2024 में इसकी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
आगे की सुनवाई
इस मामले को 31.07.2025 को सह-अभियुक्त की जमानत याचिका (एमसीआरसी संख्या 3714/2025) के साथ सूचीबद्ध किया गया है। कोर्ट ने रजिस्ट्रार (न्यायिक) को निर्देश दिया कि इस आदेश और हलफनामे की प्रतियां संबंधित खंडपीठ को भेजी जाएं, जहां स्वतः संज्ञान से पंजीकृत एक अन्य मामले (WPPIL संख्या 14/2024) में जेल सुधारों पर विचार किया जा रहा है।
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